तेरे आने की खबर सुन के
दिल की बस्ती सजाये बैठे हैं
चराग बुझ न जाये आने से पहले
हम घर के परदे गिराए बैठे हैं
यह जुदाई के रात जल्दी कटे
तेरी तस्वीर को सीने से लगाये बैठे हैं
हैं सुलगते हुए अरमान मेरे
हम सर्द आहों से उन्हें बुझाये बैठे हैं
कोई न सुन पाए खामोसी को मेरे
दिल की धड़कन में तेरी आवाज़ बसाये बैठे हैं
क्यूँ खड़े हो दूर हमसे
हम दिल के शामियाने में आपकी महफिल सजाये बैठे हैं
3 comments:
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आपने तो बहुत अच्छी कविता लिखी ...बधाई.
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thanks pakhi u liked it!!!!!!
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