एक लहर सी उठ रही आज
जाने क्यूँ
कुछ याद आ रहा है आज
जाने क्यूँ
जिंदगी लग रही है उधार
जाने क्यूँ
नहीं हो रहा ऐतबार
जाने क्यूँ
आँखें नम हैं आज
जाने क्यूँ
सौ गम हैं आज
जाने क्यूँ
जिंदगी करे सवाल
जाने क्यूँ
मिलता नहीं मगर जवाब
जाने क्यूँ
खामोश है जुबां
जाने क्यूँ
दिल है हैरान परेशां
जाने क्यूँ
दिल नहीं नादान
जाने क्यूँ
हर बात के सौ आयाम
जाने क्यूँ
चाँद तनहा सारी रात
जाने क्यूँ
लहरों में घुल गयी बात
जाने क्यूँ
कभी मिलता नहीं तेरा साथ
जाने क्यूँ
खामोश रही मुलाक़ात
जाने क्यूँ
कभी वक्त मिले तो आना
मिलके खोजेंगे जवाब
शायद दे पाए जिंदगी
मुझे कोई जवाब
हर बार मैं ही क्यूँ
स्वाति सिन्हा
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