Sunday, February 27, 2011

chhand bane moti !!!!!11

छंद अब मोती बन के 
पन्नों पे उभरने लगे हैं
यादें अब ख़ुशी  और गम के 
अब रंगों में बिखरने लगे हैं

भोली सी सूरत पे लाखों अरमान
वोह हलकी सी आत जाती मुस्कान 
अनजानी कल्पनाओं में ही सही
कई किस्से कहने लगे हैं

वोह दीपक जो जलता है
चाँद की तरह चमकता है
पूछे  कोई उससे , कितने हैं?
दीपक की तरह जो  जलने लगे 

माना की मुलाक़ात थोड़ी थी
मगर वोह वक़्त और हालत ऐसी ही थी
सुकून इस बात का है
किसी की धड़कने  हमारे नाम से चलने लगे हैं 


वो आये महफ़िल में आज की शाम फिर
वक़्त गुज़रा और कब सेहर हो गयी
कहते हैं वोह की अब चलना होगा
की बस्ती में लोग अब जागने लगे हैं

स्वाति सिन्हा

Sunday, February 20, 2011

Bheegi Raat .........

ऐ बारिश इतना न बरस 
की बह जाऊं मैं 
तेरी बूंदों के काफिले में 
खो के रह जाऊं मैं

वैसे भी मुस्किल से कट रहा
वक़्त मेरा 
की वादा था उनसे मिलने का मेरा
पर तेरी बारिश ने मुझे रोक दिया
मेरे उठते कदम को टोक दिया

इस वक़्त जब तुम होते साथ
होती अपनी एक प्यार भरी  मुलाकात
पर तुम न आये सारी रात
होठों  पे रह गयी कितनी अनकही बात

 इन बूंदों को भी मुझसे आज
कोई शिकायत हो गयी
तुम्हारे चाँद से मुखड़े का  दीदार हो 
इनकी भी ये हसरत रह गयी

इस मौसम में तुम जब मुझसे मिलते थे
कैसे कह दूं आज की रात 
की इस भीगी बरसात में 
तुमसे सारी मुलाकात याद आ गयी

स्वाति सिन्हा

chehra...........

                                                 चेहरा



                                                                 
वो आईने के सामने बैठी खुद को देख रही थी. चेहरे पर कडवाहट , क्रोध और उदासी ने अपना जाल फैला रखा था . उसने अपने आँखों में झाँकने की कोशिश की मगर डर  के मारे ऑंखें बंद कर लिया, अन्दर अँधेरे कुएं के अलावा कुछ नज़र न आया.
                     उसने पास रखे चेहरे को उठाया , क्रीम की मदद से अपने पुराने चेहरे पर चिपकाया. आँखों के गहरे कुएं की मुंडेर पर काजल लगाया . अब उसके नए चहरे पर मुस्कराहट थी , आँखों में प्रसन्नता झलकने लगी. बस में बैठी वो बार बार अपने नए चेहरे को पुराने चेहरे पर चिपकाने की कोशिश कर रही है. उसने लिपस्टिक लगाया और माउथ फ्रेशनर डालते हुए ऑफिस की और चल पड़ी.
                  यहाँ उसे मुस्कुराना है , आते जाते लोगों के बेतुके सवालों का धैर्य पूर्वक उत्तर देना है. चेहरे तैयार हैं , मिस सोनम , मिस्टर देव और न जाने कितने चेहरे हैं. सामने से आते मिस्टर प्रकाश को देख कर उसके दोनों चेहरों में जंग छिड़ गयी . मगर अंत में जीत की ख़ुशी में नया चेहरा मुस्कुराया . सरे दंतपंक्ति बहार आ गए. मनो उन्ही का इंतज़ार कर रहे हैं. मिस्टर प्रकश से हाथ मिला कर मुस्कुराते हुए नए चेहरे ने महसूस किया , मानों किसी ने उसके नीम को चाह्स्नी में लपेटकर खिला दिया हो, फिर भी चेहरा मुस्कुराता रहा.
                           शाम को आईने के सामने बैठी वोह खुद को निहारने लगी , उसने नए चेहरे को उतरा और सँभालते हुए दराज में रख दिया. कल उसे फिर से पहनना जो है.

अमृता पाण्डेय 

Wednesday, February 02, 2011

Yellow Flowers on green Tree!!!!!!




The yellow flowers on the green tree
as I open my window,everyday i can see
also I see some white pigeons, 
on paasers by unknown whom
I find cooing and peeking
spreading love, sit on branch as if a swing 

I  savour the view as its only for me 
the beautiful and panoramic  green
the romantic couple in nature serene
the yellow blossoms beautify the tree
as if the creator was in joyous mood
when sprinkled  the paint yellow on green


I see a pigeon fluttering its dewy wing 
and another gives company by repeating the deed
they share a twig of divine leaf
like a token of love entwined in beak
They blink their eyes and one of them flies
saying will come soon ,and together will see the Sun rise 

swati sinha