चेहरा
वो आईने के सामने बैठी खुद को देख रही थी. चेहरे पर कडवाहट , क्रोध और उदासी ने अपना जाल फैला रखा था . उसने अपने आँखों में झाँकने की कोशिश की मगर डर के मारे ऑंखें बंद कर लिया, अन्दर अँधेरे कुएं के अलावा कुछ नज़र न आया.
उसने पास रखे चेहरे को उठाया , क्रीम की मदद से अपने पुराने चेहरे पर चिपकाया. आँखों के गहरे कुएं की मुंडेर पर काजल लगाया . अब उसके नए चहरे पर मुस्कराहट थी , आँखों में प्रसन्नता झलकने लगी. बस में बैठी वो बार बार अपने नए चेहरे को पुराने चेहरे पर चिपकाने की कोशिश कर रही है. उसने लिपस्टिक लगाया और माउथ फ्रेशनर डालते हुए ऑफिस की और चल पड़ी.
यहाँ उसे मुस्कुराना है , आते जाते लोगों के बेतुके सवालों का धैर्य पूर्वक उत्तर देना है. चेहरे तैयार हैं , मिस सोनम , मिस्टर देव और न जाने कितने चेहरे हैं. सामने से आते मिस्टर प्रकाश को देख कर उसके दोनों चेहरों में जंग छिड़ गयी . मगर अंत में जीत की ख़ुशी में नया चेहरा मुस्कुराया . सरे दंतपंक्ति बहार आ गए. मनो उन्ही का इंतज़ार कर रहे हैं. मिस्टर प्रकश से हाथ मिला कर मुस्कुराते हुए नए चेहरे ने महसूस किया , मानों किसी ने उसके नीम को चाह्स्नी में लपेटकर खिला दिया हो, फिर भी चेहरा मुस्कुराता रहा.
शाम को आईने के सामने बैठी वोह खुद को निहारने लगी , उसने नए चेहरे को उतरा और सँभालते हुए दराज में रख दिया. कल उसे फिर से पहनना जो है.
अमृता पाण्डेय
1 comment:
Bhutahi kadawa satya hai...
Post a Comment