Thursday, June 09, 2011

जादूगर मोरे सैयां

जादूगर मोरे सैयां




बांध गए मुझे मोहपाश में
सुध बुध मैं तो  हारी
कैसा रास रचाया तुने 
मेरे प्रियतम अब की बारी

तेरी बंसी की धुन में
खोया है मन और प्राण
ओ जादूगर मोरे सैयां
छेड़ दे फिर से वही तान

खोज रहा है व्याकुल मन 
वही मोहक तेरी मुस्कान
देख देख होती थी जिसे
हर्षित पल पल मेरे घनश्याम

जाती हूँ यमुना के तट पर 
चिढाती है सखियाँ कह कर
देखो मुरली वाले ने
कर दिया क्या तेरा हाल

तू तो  जाने जग का हाल
फिर क्यूँ मुझसे अनजान तू
आ के  अंग लगा ले मुझको
या मुक्त कर दे मोहजाल से तू


~स्वाति सिन्हा ~

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