जादूगर मोरे सैयां
बांध गए मुझे मोहपाश में
सुध बुध मैं तो हारी
कैसा रास रचाया तुने
मेरे प्रियतम अब की बारी
तेरी बंसी की धुन में
खोया है मन और प्राण
ओ जादूगर मोरे सैयां
छेड़ दे फिर से वही तान
खोज रहा है व्याकुल मन
वही मोहक तेरी मुस्कान
देख देख होती थी जिसे
हर्षित पल पल मेरे घनश्याम
जाती हूँ यमुना के तट पर
चिढाती है सखियाँ कह कर
देखो मुरली वाले ने
कर दिया क्या तेरा हाल
कर दिया क्या तेरा हाल
तू तो जाने जग का हाल
फिर क्यूँ मुझसे अनजान तू
आ के अंग लगा ले मुझको
या मुक्त कर दे मोहजाल से तू
~स्वाति सिन्हा ~
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