
आज बाजार जाने का मन नही करता
कुछ खरीदने की इच्छा नही होती
या शायद इतने पैसे नही की कुछ खरीद सकूँ
कभी बहुत कुछ खरीदती थी मैं
कुछ रंगीन कँचे , गुड्डे गुड्डियों का संसार
आज बिक रहा है सारा ब्रहमाण्ड
ये धरती ये आकाश
ये जल ये पवन
सब कुछ बिक रहा है
बेबसी के मजार पर
भावनाआों के गुब्बारे उड रहें हैं
बेरहम से उचीं कीमत के मीनार से
रिश्तों की जड किसी ने उखाड फेकीं है
कहीं दुर सभी मगन हैं सौदेबाजी में
कुछ खरीदने कि होड में
सब कुछ बेचने कि होड में
कभी जमीन बिकती थी
आज जमीन से जमीर सब गिरवी है