तेरे नैनों से बांध गए मेरे नैन
अब हो गयी खबर ज़माने को
तू है तो हर खुशी
वरना चैन कहाँ दिन रैन
तुझसे जीवन का जोत मिला
तुने धोये मन के मैल
निर्झर गिरते हैं आंसू मेरे
जीवन में एक सहारा तेरा प्रेम
ना मैंने दिन रात दीपक जलाये
न सजाई फूलों की सेज
फिर भी तुने हाथ थामा
अँधेरे में भी दिखाया रास्ता नेक
ना मैं तेरे मंदिर गयी
ना हुयी काशी वृन्दावन में भेंट
तुने मुझको दर्शन दिया
पलकें मूँद मैंने बाहें फैलाई सप्रेम
तेरे मेरे मन की निर्मल भाषा
समझे न जग के द्वेष
तुम मुझको पार लगाने आये
कभी भाई ,बंधू कभी सखा के भेष
स्वाति सिन्हा
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