Monday, May 09, 2011

तेरे नैनों से बांध गए मेरे नैन


तेरे नैनों से बांध गए मेरे नैन
अब हो गयी खबर ज़माने को 
तू है तो हर खुशी
वरना चैन कहाँ दिन रैन

तुझसे जीवन का जोत मिला
तुने धोये मन के मैल
निर्झर गिरते हैं आंसू मेरे
जीवन में एक सहारा तेरा प्रेम

ना मैंने दिन रात दीपक जलाये
न सजाई फूलों की सेज
फिर भी तुने हाथ थामा
अँधेरे में भी दिखाया रास्ता नेक

ना  मैं  तेरे  मंदिर गयी
ना हुयी काशी वृन्दावन में भेंट
तुने मुझको दर्शन दिया 
पलकें मूँद मैंने बाहें फैलाई सप्रेम

तेरे मेरे मन की निर्मल भाषा
समझे न जग के द्वेष
तुम मुझको पार लगाने आये
कभी भाई ,बंधू कभी सखा के भेष

स्वाति सिन्हा

No comments: