तुमसे रिश्ता जोड़ मैं
हो गयी जग से अनजानी
तुम बन गए मेरे प्रीतम
मैं तेरी प्रेम दीवानी
राह निहारूं पंथ बुहारूं
तुम दर्शन दो बिहारी
यमुना के तट पर बैठी हूँ
राह बाटुं कब से तिहारी
गले लगा लो . राह दिखा दो
दुःख और सुख की मारी हूँ
यह भवसागर पार लगा दो
की मैं मुरख अज्ञानी हूँ
तेरे श्याम रंग में कैसा जादू
की सुध बुध अपनी हारी हूँ
तुम प्रेम के बंधन में बाँध गए
जग छोड़ मैं हो गयी तुम्हारी हूँ
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