Saturday, July 16, 2011

तुम रात ख्वाब बन के आते तो अच्छा रहता
दीये बुझा के चुपचाप आते तो अच्छा रहता
आज शाम ओ सेहर आ गए 
मैं तुमसे मिलूँ कैसे 

No comments: