Monday, July 04, 2011




कौन रुकता है किसी के लिए ज़माने में
सभी मस्त हैं अपने भरे हुए पैमाने में
पल दो पल की हस्ती है हमारी
ज़िन्दगी
फिर कौन पूछेगा कहा खो गए हम ज़माने में

स्वाति

2 comments:

BrijmohanShrivastava said...

जिन्दगी का सच बतलाती रचना ।
कौन रोता है किसी और की खातिर अय दोस्त
सबको अपने ही हालात पे रोना आया

रश्मि प्रभा... said...

bahut badhiyaa