Friday, July 29, 2011

हम जो समेटे बैठे हैं समंदर दिल में
आँखों से कोई बहा ले जाता
की आज कोई इस दिल से
काश प्यार जता जाता

मगर तमन्नाएं दिल की सारी पूरी नहीं होती
हर ख्वाब हकीकत की धुरी नहीं होती
तुम से रोशन हो सारा जहां मुमकिन है
मगर ए चाँद तुझे बस मेरी गली नहीं सूझती

स्वाति 

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