शाम से एक दिया जला रखा है मैंने
बड़ी मुश्किल से तुम्हे भुला रखा है मैंने
आओगे कभी तो इस तरफ भूले भटके
इसी उम्मीद पे दरवाज़ा खुला रखा है मैंने
बड़ी मुश्किल से तुम्हे भुला रखा है मैंने
आओगे कभी तो इस तरफ भूले भटके
इसी उम्मीद पे दरवाज़ा खुला रखा है मैंने
~स्वाति ~
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