साथ रूठी थी मेरे साथ हंसा करती थी ,वो लड़की जो मेरे दिल में बसा करती थी .
मेरी चाहत की तलबगार थी इस दर्जा के ,वो मुसल्ले पे नमाज़ों में दुआ करती थी .
एक लम्हे का बिछड़ना भी गंवारा था उसको , रूठे हूवे मुझको खुद से जुदा करती थी .
बात किस्मत की है सिर्फ जुदा हो गए वरना वो तोह मुझे तकदीर कहा करती थी!!
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