Abhivyakti
Poetry is My Expression
Saturday, July 23, 2011
हम उनसे मिला के नैन आयें हैं अभी अभी
कह दो चारागों से रौशनी अभी भाती नहीं
दिल करता है चुपचाप लेटे रहना
कुछ न सुनना और खामोश रहना
अब इसे प्यार कहते हैं या बेचैनी
कोई भी नाम दे दो, क्या फर्क पड़ता है
swati
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