Saturday, July 30, 2011

आज फिर एक अधूरी पढ़ी किताब मिली
किताब में न थी कोई खत न सुखी हुयी गुलाब
बस पन्ने पलटती गयी मैं
हर शब्द में तस्वीरे यार मिली


~स्वाति ~

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