Tuesday, August 09, 2011


एक नज़र प्यार की काफी हो जहां
उस हुस्न को बेहिसाब देखना जुर्म है

शहर का हर कोना बावस्ता है खुशबू से उसके
अब तो उसका तेरे ख्याल में  आना  जुर्म है

स्वाति 

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