Sunday, August 21, 2011


आन बसो इस दिल में प्रीतम 
है नैनों में जैसे  छवि तुम्हारी 
अधूरा है सोलह श्रृंगार प्रीतम
जो ना पड़े नज़र तिहारी 
कैसे कहूँ की कौन हो तुम 
मधुबान में जैसे फूलों की क्यारी 
क्या अस्तित्व उस चकोर  की 
जो ना चाँद को हो प्यारी 



स्वाति सिन्हा 

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