कभी सुना था मैंने
बीवी गले की हार
माँ बाप भार हो गए
मगर आज देखो तो
सारे रिश्ते व्यापार हो गए
अगर ना रहा मोल
माँ के अंचल का
तो शादी के बंधन भी
सामाजिक व्यवहार हो गए
दोस्ती दूर से ही अच्छी है
वरना तो निभाना दुस्वार हो गए
कोरे कागज पे लिखते थे नाम तेरा
आज उसी कागज पे रिश्ते निसार हो गए
बीवी गले की हार
माँ बाप भार हो गए
मगर आज देखो तो
सारे रिश्ते व्यापार हो गए
अगर ना रहा मोल
माँ के अंचल का
तो शादी के बंधन भी
सामाजिक व्यवहार हो गए
दोस्ती दूर से ही अच्छी है
वरना तो निभाना दुस्वार हो गए
कोरे कागज पे लिखते थे नाम तेरा
आज उसी कागज पे रिश्ते निसार हो गए
स्वाति सिन्हा
2 comments:
ab rishte shatranj kee gotiyaan hain , alag alag chaal , alag alag daav
thanks Ma'am for such a beautiful dimension to my lines......
Its really a beautiful poetic journey ..together with U
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