हमसे अनजान थी उसकी निगाहें और वोह हमारा भी था
दिल को तोडा उसने और वही दिल का सहारा भी था
दो चेहरे लिए फिरता है वो हमदम शहर में
की वफ़ा भी उसमे थी और वोह थोडा आवारा भी था
स्वाति सिन्हा
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